शिव चालीसा

Rudrabhishek
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Shiv Chalisa in Hindi: श‍िव चालीसा में भोलेनाथ की मह‍िमा का बखान बखूबी क‍िया गया है। ऐसा माना गया है क‍ि श‍िव चालीसा के जाप से भय और कष्‍टों से मुक्‍त‍ि मिलती है। भोलेनाथ को शांति, विनाश, समय, योग, ध्यान, नृत्य, प्रलय और वैराग्य का देवता कहा गया है। सृष्टि के संहारकर्ता और जगतपिता कहलाते हैं।  भगवान श‍िव त्रिदेवों में एक देव हैं और इनकी पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है।

भगवान शिव पूजन के ल‍िए श‍िवरात्र‍ि को खास माना गया है जो हर मास की कृष्‍णपक्ष की चतुदर्शी को आती है। फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी महाशिवरात्रि  ( Mahashivratri ) कही गई है ज‍िसके महत्‍व का अलगअलग ग्रंथों में बखान क‍िया गया है। श‍िव पूजा में उनकी चालीसा के जाप का भी महत्‍व है। अगर आप श‍िवरात्रि या सोमवार को भोलेनाथ की पूजा करते हैं तो श‍िव चालीसा का पाठ जरूर करें।

शिव चालीसा क्या है (What is Shiv Chalisa)

शिव चालीसा के माध्यम से आप अपने आराध्य भगवान् शंकर को बड़े हीं आसानी से प्रसन्न कर सकते हैं। शिव चालीसा भगवान् शिव की स्तुति में लिखी गयी 40 चौपाइयों का संग्रह है जिसकी रचना संत अयोध्यादास ने की थी। शिव चालीसा में भगवान शिव के विभिन्न रूपों और उनके गुणों का वर्णन किया गया है

शास्त्रों के अनुसार, शिव चालीसा का पाठ करने के कई लाभ हैं. यह भय को दूर करता है, असाध्य रोगों को ठीक करता है, दुख और परेशानियों को दूर करता है, धन-लक्ष्मी में वृद्धि करता है, मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त करता है, गर्भ में पल रहे बच्चे की सुरक्षा करता है, और दांपत्य जीवन की समस्याओं को दूर करता है.

शिव चालीसा का महत्व ( Importance of Shiv Chalisa )

शिव चालीसा का पाठ करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। शिव की कृपा से सिद्धि-बुद्धि, धन-बल और ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है। शिव के प्रभाव से इंसान धनी बनता है, वो तरक्की करता है। वो हर तरह के सुख का भागीदार बनता है, उसे कष्ट नहीं होता। शिव अलौकिक शक्ति के मालिक है, उनकी कृपा मात्र से ही इंसान सारी तकलीफों से दूर हो जाता है।

भगवान शिव को धतूरा, बेल पत्र, शमी, मदार के फूल, दूध आदि बेहद प्रिय हैं. भगवान शंकर की सच्ची श्रद्धा से उपासना करने वालों पर विशेष कृपा रहती है. शिवजी की पूजा के लिए सोमवार का दिन विशेष फलदायी होता है.

भोलेनाथ केवल सच्चे मन से याद करने पर भी भक्तों की पुकार सुन लेते हैं परंतु जो भी भक्त नियमित रूप से शिव चालीसा का पाठ करता है, उस पर भगवान शिव की विशेष कृपा बरसती है. शिव चालीसा का पाठ करने के शास्त्रों में नियम बताए गए हैं. ऐसे में नियमों के अनुसार ही शिव चालीसा का पाठ करना फलदायी होता है.

आइये जानते हैं ​किस प्रकार से शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए.

शिव चालीसा पढ़ने के नियम ( Rules for Reading Shiv Chalisa )

हममे से कई लोग शिव चालीसा का पाठ तो करते हैं पर उन्हें पूर्ण फल की प्राप्ति नहीं हो पाती है। इसका सिर्फ और सिर्फ एक हीं कारण है की आपने शिव चालीसा का पाठ नियम, भक्ति और आस्था पूर्वक नहीं किया है। अगर आप शिव चालीसा का पूर्ण फल पाना चाहतें हैं तो ये अनिवार्य हो जाता है की आपको श्री शिव चालीसा पढ़ने के नियम और विधि की सही जानकारी हो।

  1. शिव चालीसा का पाठ करने से पहले, सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें.
  2. अपना मुंह पूर्व दिशा में रखें और कुशा के आसन पर बैठे.
  3. पाठ करने से पहले गाय के घी का दिया जलाएं और एक लोटे में शुद्ध जल भरकर रखें.
  4. भगवान शिव के सामने धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें
  5. भगवान शिव की शिव चालिसा का तीन या पांच बार पाठ करें.
  6. शिव चालीसा का पाठ बोल बोलकर करें जितने लोगों को यह सुनाई देगा उनको भी लाभ होगा.
  7. शिव चालीसा का पाठ पूर्ण भक्ति भाव से करें और भगवान शिव को प्रसन्न करें.
  8. पाठ पूरा हो जाने पर लोटे का जल सारे घर मे छिड़क दें.
  9. थोड़ा सा जल स्वयं पी लें और मिश्री प्रसाद के रूप में खाएं और बच्चों में भी बाट दें.

शिव चालीसा पढ़ने के लाभ (Benefits of Shiv Chalisa)

शिव चालीसा के पाठ से कई लाभ मिलते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • भय को दूर करना
  • असाध्य रोगों को ठीक करना
  • दुख और परेशानियों को दूर करना
  • धन-लक्ष्मी में वृद्धि करना
  • मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त करना
  • गर्भ में पल रहे बच्चे की सुरक्षा करना
  • दांपत्य जीवन की समस्याओं को दूर करना

यदि आप शिव चालीसा का पाठ करना चाहते हैं, तो आप इसे किसी भी दिन और किसी भी समय कर सकते हैं. हालांकि, सुबह के समय पाठ करना सबसे अच्छा माना जाता है. शिव चालीसा का पाठ करने से आपको शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव होगा. आप अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव देखेंगे. शिव चालीसा का पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है.

शिव चालीसा ( Shiv Chalisa Lyrics in Hindi )

॥ दोहा ॥

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान ।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥

॥ चौपाई ॥

जय गिरिजा पति दीन दयाला ।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥ 1 ॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।
कानन कुण्डल नागफनी के ॥ 2 ॥

अंग गौर शिर गंग बहाये ।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥ 3 ॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
छवि को देखि नाग मन मोहे ॥ 4 ॥

मैना मातु की हवे दुलारी ।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥ 5 ॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥ 6 ॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥ 7 ॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
या छवि को कहि जात न काऊ ॥ 8 ॥

देवन जबहीं जाय पुकारा ।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥ 9 ॥

किया उपद्रव तारक भारी ।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥ 10 ॥

तुरत षडानन आप पठायउ ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥ 11 ॥

आप जलंधर असुर संहारा ।
सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥ 12 ॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥ 13 ॥

किया तपहिं भागीरथ भारी ।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥ 14 ॥

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥ 15 ॥

वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥ 16 ॥

प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।
जरत सुरासुर भए विहाला ॥ 17 ॥

कीन्ही दया तहं करी सहाई ।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥ 18 ॥

पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥ 19 ॥

सहस कमल में हो रहे धारी ।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥ 20 ॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।
कमल नयन पूजन चहं सोई ॥ 21 ॥

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥ 22 ॥

जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
करत कृपा सब के घटवासी ॥ 23 ॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥ 24 ॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥ 25 ॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।
संकट से मोहि आन उबारो ॥ 26 ॥

मात-पिता भ्राता सब होई ।
संकट में पूछत नहिं कोई ॥ 27 ॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
आय हरहु मम संकट भारी ॥ 28 ॥

धन निर्धन को देत सदा हीं ।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥ 29 ॥

अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥ 30 ॥

शंकर हो संकट के नाशन ।
मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥ 31 ॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।
शारद नारद शीश नवावैं ॥ 32 ॥

नमो नमो जय नमः शिवाय ।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥ 33 ॥

जो यह पाठ करे मन लाई । 
ता पर होत है शम्भु सहाई ॥ 34 ॥

ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।
पाठ करे सो पावन हारी ॥ 35 ॥

पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥ 36 ॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे ।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥ 37 ॥

त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥ 38 ॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥ 39 ॥

जन्म जन्म के पाप नसावे ।
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥ 40 ॥

कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥

॥ दोहा ॥

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश ॥

 


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