रुद्राभिषेक मंत्र: पूजा सामग्री, पूजन विधि एवं फायदे

Rudrabhishek
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रुद्राभिषेक मंत्र से करें शिव पूजा ( Worship Shiva with Rudrabhishek Mantra )

रुद्राभिषेक अर्थात रुद्र का अभिषेक। रूद्र यानि भगवान शिव का अभिषेक अर्थात भगवान शंकर को जब स्नान कराया जाता है तो उसे रुद्राभिषेक की कहते हैं। रुद्राभिषेक मंत्रों (Rudrabhishek Mantra) द्वारा किया जाने वाला एक शक्तिशाली ऊर्जा पूर्ण कार्य है, जिसकी वजह से भगवान शिव की असीम अनुकंपा शीघ्र ही प्राप्त होती है। रुद्राभिषेक मंत्रों द्वारा किया जाता है और वास्तव में रुद्राभिषेक मंत्र कोई एक मंत्र नहीं बल्कि मंत्रों का समूह है, जो ‘शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी’ के रूप में भी जाना जाता है। इसे केवल ‘रुद्राष्टाध्यायी’ भी कहते हैं और “रुद्री पाठ” के नाम से भी इसको जाना जाता है।

सावन के पवित्र मास में जगह-जगह शिव मंदिरों में रुद्राभिषेक का आयोजन होता है। मान्‍यता है कि भगवान शिव के रुद्राभिषेक से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है साथ ही ग्रह जनित दोषों और रोगों से शीघ्र ही मुक्ति मिल जाती है। रुद्रहृदयोपनिषद के अनुसार, सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका: अर्थात् सभी देवताओं की आत्मा में रुद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रुद्र की आत्मा में हैं।

रुद्राभिषेक मंत्र भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे सटीक और अचूक उपाय है क्योंकि इसके पाठ अथवा जप करने से भगवान शिव व्यक्ति को सभी सुख-सुविधाओं से संपूर्ण बनाते हैं और उसके जीवन में चली आ रही समस्याओं का अंत हो जाता है। अर्थात भगवान शिव की कृपा को शीघ्र अति शीघ्र प्राप्त करने के लिए रुद्राभिषेक मंत्र का प्रयोग किया जा सकता है। कालसर्प योग, गृहक्लेश, व्यापार में नुकसान, शिक्षा में रुकावट सभी कार्यों की बाधाओं को दूर करने के लिए शिव रुद्राभिषेक आपके अभीष्ट सिद्धि के लिए फलदायक है।

भगवान शिव की पूजा और आराधना करने के लिए रुद्राभिषेक को सबसे फलदायी माना गया है | रुद्राभिषेक पूजन के द्वारा भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते है और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है | आपको रुद्राभिषेक की पूजा किस तरह करनी है आइये जानते है – रुद्राभिषेक क्‍या है? कैसे किया जाता है और क्‍यों किया जाता है?

रुद्राभिषेक क्या है ? (What is Rudravishek?)

अभिषेक शब्द का शाब्दिक अर्थ है – स्नान कराना। रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान रुद्र का अभिषेक अर्थात शिवलिंग पर रुद्र के मंत्रों के द्वारा अभिषेक करना। यह पवित्र-स्नान रुद्ररूप शिव को कराया जाता है। उनका शुद्ध जल, दूध, दही, गन्ने के रस, अनार के रस आदि से स्नान कराना |

भगवान शिव को रुद्राभिषेक अति प्रिय होता है और जो भी भक्त पूरी श्रद्धा और विधि विधान से रुद्राभिषेक पूजा करते है भगवान शिव उनको अपना आशीर्वाद प्रदान करते है और उनकी समस्त मनोकामनाएं पूरी करते है | वर्तमान समय में अभिषेक, रुद्राभिषेक के रुप में ही विश्रुत है। अभिषेक के कई रूप तथा प्रकार होते हैं। शिव जी को प्रसंन्न करने का सबसे श्रेष्ठ तरीका है रुद्राभिषेक करना अथवा श्रेष्ठ ब्राह्मण विद्वानों के द्वारा कराना। वैसे भी अपनी जटा में गंगा को धारण करने से भगवान शिव को जलधाराप्रिय माना गया है।

देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने के लिए रुद्राभिषेक को बहुत ही शुभ फल देने वाला माना जाता है | भगवान शिव जिन्हें की भोले बाबा के नाम से भी जानते है भक्तों पर अपार कृपा बरसाने वाले है | भगवान शिव के रुद्राभिषेक से ही भगवान राम ने रावण पर विजय पायी थी |

रुद्राभिषेक क्यों किया जाता हैं? ( Why Rudrabhishek is Done )

रुद्राष्टाध्यायी के अनुसार भगवान शिव ही और रूद्र माने जाते हैं और रुद्र ही शिव माने जाते हैं। कहा भी गया है रूतम् दुःखम्, द्रावयति नाशयतीतिरूद्रः । भगवान शिव, जो रुद्र के रूप में प्रतिष्ठित हैं, वे हमारे जीवन के सभी दुखों एवं कष्टों को शीघ्र ही नष्ट अर्थात समाप्त कर देते हैं। वस्तुतः जो दुःख हम भोगते है उसका कारण हम सब स्वयं ही है हमारे द्वारा जाने अनजाने में किये गए प्रकृति विरुद्ध आचरण के परिणाम स्वरूप ही हम दुःख भोगते हैं।

स्वयं श्रृष्टि कर्ता ब्रह्मा जी ने भी कहा है की जब हम अभिषेक करते है तो स्वयं महादेव साक्षात् उस अभिषेक को ग्रहण करते है। संसार में ऐसी कोई वस्तु, वैभव, सुख नही है जो हमें रुद्राभिषेक करने या करवाने से प्राप्त नहीं हो। अतः हम यह कह सकते हैं कि रुद्राभिषेक से मनुष्य के सारे पाप-ताप धुल जाते हैं।

रुद्राभिषेक मंत्र जाप करने की विधि ( Method of Chanting Rudrabhishek Mantra )

प्रत्येक मंत्र जाप के लिए विशेष विधि होती है, जिसके अनुसार आपको पाठ करना चाहिए, क्योंकि यदि पूर्ण विधि-विधान के अनुसार कोई भी मंत्र जाप किया जाता है, तो उसका फल कई गुना बेहतर प्राप्त होता है। रुद्राभिषेक मंत्र का जाप करने से पहले आपको यह जान लेना आवश्यक होता है कि उस दिन, जब आप यह पाठ करने जा रहे हैं तो “शिव वास” कहां है, क्योंकि यदि सही समय पर यह मंत्र जाप किया जाएगा, तो शिव जी की कृपा मिलेगी और यदि किसी अन्य समय पर किया जाए, तो शिवजी रुष्ट भी हो सकते हैं।

यह भी जान लें कि यदि आप किसी उद्देश्य विशेष के लिए रुद्राभिषेक मंत्र का जप करना चाहते हैं, तो आपको शिव वास अवश्य जानना चाहिए, लेकिन इसके विपरीत यदि निष्काम रूप से भगवान शिव की आराधना करना चाहते हैं, तो उसके लिए शिव वास देखा जाना आवश्यक नहीं है। शिव वास को जानने के लिए आप निम्नलिखित वर्णन को पढ़ सकते हैं:

शिव वास जानने की विधि ( Shiv Vas Janane Ki Vidhi )

जब आप किसी विशेष उद्देश्य में सफलता की कामना से रुद्राभिषेक मंत्र का जाप करते हैं, तो आपको शिव वास का विचार करना चाहिए, क्योंकि यदि आप उचित शिव वास में रुद्राभिषेक मंत्र से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करते हैं, तो आपकी सभी इच्छाएं अवश्य पूर्ण होती हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है।

  • किसी भी महीने के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा अर्थात प्रथमा, अष्टमी और अमावस्या तथा शुक्ल पक्ष की द्वितीया व नवमी तिथि के दिन भगवान शिव का वास माता गौरी के साथ होता है। ऐसे में यदि आप इस इन तिथियों को रुद्राभिषेक मंत्र से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करते हैं, तो आपको सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  • किसी भी महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तथा एकादशी और शुक्ल पक्ष की पंचमी और द्वादशी तिथि में भगवान शिव का वास कैलाश पर्वत पर होता है और इस दिन रुद्राभिषेक मंत्र से शिव आराधना करने पर भगवान शिव की अनुकंपा प्राप्त होती है तथा आपके परिवार में सुख समृद्धि के साथ-साथ आनंद की वृद्धि होती है।
  • किसी भी महीने के कृष्ण पक्ष की पंचमी और द्वादशी तिथि तथा शुक्ल पक्ष की षष्ठी और त्रयोदशी तिथि में भगवान शिव नंदी पर सवार होते हैं और ऐसे में संपूर्ण विश्व में भ्रमण करते हैं। यदि इन तिथियों में रुद्राभिषेक मंत्र से भगवान शिव का अभिषेक किया जाए, तो आपका अभीष्ट सिद्ध होता है अर्थात जो भी आपकी कामना हो, वह अवश्य ही पूर्ण होती है।
  • कृष्ण पक्ष की सप्तमी और चतुर्दशी तथा शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी और पूर्णिमा तिथियों में भगवान शिव का निवास श्मशान में होता है। वे समाधि में मग्न होते हैं। यदि इन तिथियों पर रुद्राभिषेक मंत्र से रुद्राभिषेक किया जाए, तो भगवान शिव की साधना भंग होने से उनके क्रोधित होने की संभावना होती है और ऐसे में आपको लाभ के स्थान पर हानि हो सकती है और आप के ऊपर कोई बड़ी विपत्ति भी आ सकती है।
  • कृष्ण पक्ष की द्वितीया और नवमी तथा शुक्ल पक्ष की तृतीया तथा दशमी तिथि में भगवान शिव का वास देवताओं की सभा में होता है, क्योंकि इन तिथियों पर वे सभी देवताओं की समस्याएं सुनते हैं। यदि इन तिथियों में रुद्राभिषेक मंत्र से भगवान शिव का आवाहन किया जाए, तो वे क्रुद्ध हो सकते हैं, क्योंकि उनके कार्य में व्यवधान उत्पन्न होता है। इसलिए इस दिन रुद्राभिषेक मंत्र का जप करने से संताप तथा दुख मिल सकता है।
  • कृष्ण पक्ष की तृतीया और दशमी तथा शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तथा एकादशी तिथि में भगवान शिव का वास क्रीड़ा क्षेत्र में होता है क्योंकि वे क्रीड़ा रत रहते हैं। इसलिए इन तिथियों पर रुद्राभिषेक मंत्र का प्रयोग करने से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से आपकी संतान को कष्ट मिलने की संभावना होती है।
  • किसी भी महीने के कृष्ण पक्ष की षष्ठी और त्रयोदशी तथा शुक्ल पक्ष की सप्तमी और चतुर्दशी तिथि में भगवान शिव का वास भोजन स्थल में होता है और वे भोजन करते हैं। यदि इस दिन रुद्राभिषेक मंत्र से शिव जी का आवाहन करने पर वह व्यक्ति को पीड़ा दे सकते हैं इसलिए इस दिन भी रुद्राभिषेक मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए।
  • ज्योर्तिलिंग-क्षेत्र एवं तीर्थस्थान में तथा शिवरात्रि-प्रदोष, श्रावण के सोमवार आदि पर्वो में शिव-वास का विचार किए बिना भी रुद्राभिषेक किया जा सकता है।

इस प्रकार से आप शिव वास को जानकर सकाम रूप से रुद्राभिषेक मंत्र का जप एवम् प्रयोग कर सकते हैं।

रुद्राभिषेक का आरम्भ कैसे हुआ ( How Rudrabhishek Started )

ब्रह्मा और विष्‍णु के युद्ध से हुआ रुद्राभिषेक का आरंभ, जानिए ये रोचक बातें

प्रचलित कथा के अनुसार भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न कमल से ब्रह्माजी की उत्पत्ति हुई। ब्रह्माजी जब अपने जन्म का कारण जानने के लिए भगवान विष्णु के पास पहुंचे तो उन्होंने ब्रह्मा की उत्पत्ति का रहस्य बताया और यह भी कहा कि मेरे कारण ही आपकी उत्पत्ति हुई है। परन्तु ब्रह्माजी यह मानने के लिए तैयार नहीं हुए और दोनों में भयंकर युद्ध हुआ। इस युद्ध से नाराज भगवान रुद्र लिंग रूप में प्रकट हुए। इस लिंग का आदि अन्त जब ब्रह्मा और विष्णु को कहीं पता नहीं चला तो हार मान ली और लिंग का अभिषेक किया, जिससे भगवान प्रसन्न हुए। कहा जाता है कि यहीं से रुद्राभिषेक का आरम्भ हुआ।

यह भी है एक कथा

एक बार भगवान शिव सपरिवार वृषभ पर बैठकर विहार कर रहे थे। उसी समय माता पार्वती ने मृत्‍युलोक में रुद्राभिषेक कर्म में शामिल लोगों को देखा तो भगवान शिव से जिज्ञासा व्‍यक्‍त की, हे नाथ मृत्‍युलोक में इस इस तरह आपकी पूजा क्यों की जाती है? तथा इसका फल क्या है? भगवान शिव ने कहा हे प्रिये! जो मनुष्य शीघ्र ही अपनी कामना पूर्ण करना चाहता है वह आशुतोषस्वरूप मेरा विविध द्रव्यों से विविध फल की प्राप्ति हेतु अभिषेक करता है। जो मनुष्य शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी से अभिषेक करता है उसे मैं प्रसन्न होकर शीघ्र मनोवांछित फल प्रदान करता हूं।

वेदों और पुराणों में शिव रुद्राभिषेक के बारे में कहा गया है कि रावण ने अपने दसों सिरों को काटकर उसके रक्त से शिवलिंग का अभिषेक किया था तथा सिरों को हवन की अग्नि को अर्पित कर दिया था जिससे वो त्रिलोकजयी हो गया। भस्मासुर ने शिवलिंग का अभिषेक अपनी आंखों के आंसुओं से किया तो वह भी भगवान के वरदान का पात्र बन गया।

रुद्राभिषेक की सामग्री ( Ingredients of Rudrabhishek )

इन सामग्रियों को पहले एकत्रित कर लें रुद्राभिषेक के लिए, आपको गाय का घी, चंदन, पान का पत्ता, धूप, फूल, गंध, बेलपत्र, कपूर, मिठाई, फल, शहद, दही, दूध, मेवा, गुलाबजल, पंचामृत गन्ने का रस, चंदन, गंगाजल, शुद्ध जल, सुपारी, नारियल, श्रृंगी आदि की आवश्यकता होगी.

रुद्राभिषेक पूजा की तैयारी कैसे करें ( How to Prepare for Rudrabhishek Puja )

  • यदि रुद्राभिषेक पूजा मंदिर में कर रहे है तो आपको जहाँ शिवलिंग है वहीँ पर पूजा करनी है | यदि आप घर में रुद्राभिषेक करना चाह रहे है तो फिर आपको उत्तर दिशा में शिवलिंग की स्थापना करनी चाहिए और पूर्वाभिमुख होकर पूजा करनी चाहिए |
  • शिवलिंग के साथ ही गणेश जी, अन्य देवता एवं नवग्रह के पूजन के लिए भी पूर्व की दिशा में एक चौकी पर सभी को स्थान देना चाहिए |
  • घर को आशा पाला के पत्तों एवं फूलमालाओं से सुसज्जित करना चाहिए |
  • रुद्राभिषेक शुरू होने से पहले ही पूजन सामग्री एवं अन्य तरह की तैयारी कर लेनी चाहिए |
  • रुद्राभिषेक पूजन में बहुत से मंत्रो का उच्चारण होता है इसलिए इसके लिए अनुभवी पंडित द्वारा यह पूजा करवानी चाहिए|
  • रुद्राभिषेक पूजा में शिवलिंग पर जलाभिषेक शुरू करने से पहले भगवान गणेश जी का पूजन करें |
  • भगवान गणेश को तिलक, चावल, फूल, नैवेद्य, दूर्वा और दक्षिणा अर्पित करें |
  • अन्य आह्वान किये गए देवताओं और नवग्रह की पूजा करें |
  • अब भगवान शंकर की पूजा करें | उन्हें तिलक आदि लगाएं |
  • बिल्वपत्र पर चन्दन से ॐ बनाकर भगवान शिव को अर्पित करें |
  • भगवान के रुद्राभिषेक के लिए शुद्ध जल में गंगाजल, भांग, दूध, गन्ने का रस आदि मिला लें |
  • रुद्राभिषेक के दौरान आचार्य रुद्री का पाठ करते है |
  • अब आप श्रृंगी के द्वारा धीरे शिवलिंग पर जल चढ़ाएं |
  • जल चढाने के दौरान आप रुद्रास्टाध्यायी का पाठ करें या फिर ॐ नमः शिवायः का जाप करें |
  • रुद्राभिषेक पूरा होने के बाद सभी एकत्रित भक्तजन भगवान शिव की आरती गायें |
  • रुद्राभिषेक के जल को पुरे घर में छिड़कें |
  • भगवान शिव को शुद्धता से घर में बनाएं व्यंजनों का भोग लगाएं |

रुद्राभिषेक से लाभ ( Benefits of Rudrabhishek )

शिव पुराण के अनुसार ( According to Shiv Puran ) किस द्रव्य से अभिषेक करने से क्या फल मिलता है अर्थात आप जिस उद्देश्य की पूर्ति हेतु रुद्राभिषेक करा रहे है उसके लिए किस द्रव्य का इस्तेमाल करना चाहिए का उल्लेख शिव पुराण में किया गया है उसका सविस्तार विवरण प्रस्तुत कर रहा हू और आप से अनुरोध है की आप इसी के अनुरूप रुद्राभिषेक कराये तो आपको पूर्ण लाभ मिलेगा।रुद्राभिषेक अनेक पदार्थों से किया जाता है और हर पदार्थ से किया गया रुद्राभिषेक अलग फल देने में सक्षम है

अर्थात यदि कोई वाहन प्राप्त करने की इच्छा से रुद्राभिषेक करता है तो उसे दही से अभिषेक करना चाहिए यदि कोई रोग दुःख से छुटकारा पाना चाहता है तो उसे कुशा के जल से अभिषेक करना या कराना चाहिए। जो की इस प्रकार से हैं ।

जल से अभिषेक

शास्त्रों के अनुसार जल द्वारा रुद्राभिषेक करने से भगवान भोलेनाथ भक्तों को मनोवांछित फल का वरदान देते हैं.इससे अपार धन की प्राप्ति होती है.जल में अगर गंगाजल मिलाया जाए तो ये बहुत शुभ होता है.इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है.

दूध से अभिषेक

सावन सोमवार के दिन दूध से शिवजी का रुद्राभिषेक करना चाहिए.भक्तिभाव से शिव की आराधना करें.इससे भगवान भोलेनाथ उनकी खाली झोली भर देते हैं और उनकी संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी करते हैं.

दही से अभिषेक

ऐसी मान्‍यता है कि अगर भगवान शिव का अभिषेक दही से किया जाए तो आपके काम में आ रही बाधाएं दूर होती है और आपको हर प्रकार की कार्य सिद्धि का आशीर्वाद प्राप्‍त होता है.

फलों के रस से अभिषेक

अखंड धन लाभ व हर तरह के कर्ज से मुक्ति के लिए भगवान शिव का फलों के रस से अभिषेक करें– भगवान शिव के ‘नील कंठ’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें– ताम्बे के पात्र में ‘गन्ने का रस’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें– ॐ कुबेराय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें

शहद मिश्रित गंगा जल से अभिषेक

संतान प्राप्ति व पारिवारिक सुख-शांति हेतु शहद मिश्रित गंगा जल से अभिषेक करें– भगवान शिव के ‘चंद्रमौलेश्वर’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें– ताम्बे के पात्र में ” शहद मिश्रित गंगा जल” भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें– ॐ चन्द्रमसे नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें

गन्ने के रस से अभिषेक

यदि आप धन हानि से गुजर रहे हैं या हाथ में पैसा नहीं रुक रहा तो सावन के माह में गन्ने के रस से शिवजी का रुद्राभिषेक करें.इससे आपको सफल परिणाम मिलने लगेंगे.

घी से अभिषेक

मान्‍यता है कि घी से रुद्राभिषेक करने से आपको अच्‍छी सेहत का वरदान प्राप्त होता है.अगर आप लंबी बीमारी से जूझ रहे हैं तो सावन के महीने में घी से रुद्राभिषेक करना चाहिए. इससे आपके स्वास्थ में धीरे-धीरे सुधार आने लगेगा.

कुमकुम केसर हल्दी से अभिषेक

आकर्षक व्यक्तित्व का प्राप्ति हेतु भगवान शिव का कुमकुम केसर हल्दी से अभिषेक करें– भगवान शिव के ‘नीलकंठ’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें– ताम्बे के पात्र में ‘कुमकुम केसर हल्दी और पंचामृत’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें – ‘ॐ उमायै नम:’ का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें

इत्र से अभिषेक

भगवान शिव को इत्र बहुत पसंद है.इत्र से रुद्राभिषेक करने से आपके जीवन में शांति स्‍थापित होती है.नींद न आने की समस्या दूर होती है.

सरसों के तेल से अभिषेक

मान्‍यता है कि सावन में सरसों के तेल से रुद्राभिषेक करने से शनि की अशुभ दशा में राहत मिलती है.शत्रुओं से छुटकारा भी मिलता है.

चने की दाल से अभिषेक

किसी भी शुभ कार्य के आरंभ होने व कार्य में उन्नति के लिए भगवान शिव का चने की दाल से अभिषेक करें– भगवान शिव के ‘समाधी स्थित’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें– ताम्बे के पात्र में ‘चने की दाल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें– ॐ यक्षनाथाय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें

काले तिल से अभिषेक

तंत्र बाधा नाश हेतु व बुरी नजर से बचाव के लिए काले तिल से अभिषेक करें– भगवान शिव के ‘नीलवर्ण’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें– ताम्बे के पात्र में ‘काले तिल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें– ॐ हुं कालेश्वराय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें

रुद्राभिषेक की पूर्ण विधि ( Complete method of Rudrabhishek )

रुद्राष्टाध्यायी के एकादशिनि रुद्री के ग्यारह आवृति पाठ किया जाता है। इसे ही लघु रुद्र कहा जाता है। यह पंच्यामृत से की जाने वाली पूजा है। इस पूजा को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रभावशाली मंत्रो और शास्त्रोक्त विधि से विद्वान ब्राह्मण द्वारा पूजा को संपन्न करवाया जाता है। इस पूजा से जीवन में आने वाले संकटो एवं नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा मिलता है।

रुद्राभिषेक मंत्र का प्रभाव ( Effect of Rudrabhishek Mantra )Rudrabhishek

रुद्राभिषेक मंत्र की शक्ति इतनी अधिक होती है कि जिस क्षेत्र में भी इसका जप किया जाता है, उससे कई किलोमीटर तक के हिस्से में शुद्धता आ जाती है और वहां की नकारात्मकता का अंत होता है। यह ग्रह जनित दोषों का भी अंत करता है और यदि आपके आसपास कोई बीमार व्यक्ति है, तो उसको बीमारी से छुटकारा भी इस रुद्राभिषेक मंत्र के द्वारा मिल सकता है।

रुद्रहृदयोपनिषद् में यह रूद्र मंत्र वर्णित है:

सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका:।
रुद्रात्प्रवर्तते बीजं बीजयोनिर्जनार्दन:।।

यो रुद्र: स स्वयं ब्रह्मा यो ब्रह्मा स हुताशन:।
ब्रह्मविष्णुमयो रुद्र अग्नीषोमात्मकं जगत्।।

अर्थात भगवान रूद्र ही जग सृष्टिकर्ता ब्रह्मा तथा जग पालन पोषण करता विष्णु हैं और सभी देवता रुद्र के ही अंश हैं। इस सम्पूर्ण चराचर जगत में सभी कुछ रुद्र से ही जन्मा हुआ है। इससे यह सिद्ध होता है कि रूद्र ही ब्रह्म हैं और वही स्वयंभू भी हैं।

वायुपुराण में भगवान रूद्र को महिमामंडित करते हुए यह वर्णन किया गया है:

यश्च सागरपर्यन्तां सशैलवनकाननाम्।
सर्वान्नात्मगुणोपेतां सुवृक्षजलशोभिताम्।।

दद्यात् कांचनसंयुक्तां भूमिं चौषधिसंयुताम्।
तस्मादप्यधिकं तस्य सकृद्रुद्रजपाद्भवेत्।।

यश्च रुद्रांजपेन्नित्यं ध्यायमानो महेश्वरम्।
स तेनैव च देहेन रुद्र: संजायते ध्रुवम्।।

अर्थात जो प्राणी सागर पर्यंत, वन, पर्वत, जल एवं वृक्षों से युक्त तथा श्रेष्ठ गुणों से युक्त ऐसी महान पृथ्वी का दान करता है, जो धन-धान्य तथा सुवर्ण और औषधियों से भी युक्त हो, उसके दान करने से जो फल प्राप्त होता है, उससे भी कहीं अधिक पुण्य फल एक बार के रुद्री जप अर्थात रुद्राभिषेक से प्राप्त हो जाता है। इसलिए जो कोई भी भगवान शिव का ध्यान करके रुद्री पाठ करता है और रुद्राभिषेक मंत्र से भगवान शिव को मनाता है, वह प्राणी उसी देह से भगवान रूद्र स्वरूप ही हो जाता है, इसमें तनिक भी संदेह नहीं है।

रुद्राभिषेक मंत्र (Rudrabhishek Mantra)

वैसे तो रुद्राभिषेक मंत्र शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी के सभी मुख्य आठों अध्यायों में दिए गए मन्त्रों से किया जाता है लेकिन आवश्यक होने पर और यदि आप स्वयं ही आसान विधि से रुद्राभिषेक करना चाहें तो निम्लिखिन रुद्राभिषेक मंत्र से आप भगवान शिव का रुद्राभिषेक कर हैं:

ॐ नम: शम्भवाय च मयोभवाय च नम: शंकराय च
मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च ॥

ईशानः सर्वविद्यानामीश्व रः सर्वभूतानां ब्रह्माधिपतिर्ब्रह्मणोऽधिपति
ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदाशिवोय्‌ ॥

तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
अघोरेभ्योथघोरेभ्यो घोरघोरतरेभ्यः सर्वेभ्यः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररुपेभ्यः ॥

वामदेवाय नमो ज्येष्ठारय नमः श्रेष्ठारय नमो
रुद्राय नमः कालाय नम: कलविकरणाय नमो बलविकरणाय नमः
बलाय नमो बलप्रमथनाथाय नमः सर्वभूतदमनाय नमो मनोन्मनाय नमः ॥

सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः ।
भवे भवे नाति भवे भवस्व मां भवोद्‌भवाय नमः ॥

नम: सायं नम: प्रातर्नमो रात्र्या नमो दिवा ।
भवाय च शर्वाय चाभाभ्यामकरं नम: ॥

यस्य नि:श्र्वसितं वेदा यो वेदेभ्योsखिलं जगत् ।
निर्ममे तमहं वन्दे विद्यातीर्थ महेश्वरम् ॥

त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिबर्धनम् उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् ॥
सर्वो वै रुद्रास्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु । पुरुषो वै रुद्र: सन्महो नमो नम: ॥
विश्वा भूतं भुवनं चित्रं बहुधा जातं जायामानं च यत् । सर्वो ह्येष रुद्रस्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु ॥

रुद्राष्टाध्यायी ( Rudrashtadhyayi )

रुद्राष्टाध्यायी में कुल दस अध्याय हैं, जिनका पाठ रुद्राभिषेक के समय किया जाता है। इनमें भी आठ अध्याय मुख्य हैं, जिनके आधार पर ही इसको रुद्राष्टाध्ययी कहा गया है। आठवां अध्याय सबसे अधिक महत्वपूर्ण है जिसे ‘नमक चमक’ के नाम से भी जाना जाता है। नमक चमक का पाठ बहुत महत्वपूर्ण है और इसके पाठ से भगवान शिव आप से शीघ्र अति शीघ्र प्रसन्न होते हैं। रुद्राष्टाध्यायी यजुर्वेद का एक अंग माना गया है।

भगवान शिव को समर्पित और उनकी महिमा का गुणगान करने वाले इस शुक्ल यजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी में कुल दस अध्याय हैं, लेकिन मुख्य आठ अध्यायों में भगवान शिव की समस्त महिमा और कृपा शक्ति के बारे में बताया गया है और उनका गुणगान किया गया है। इसलिए इन आठ अध्यायों के आधार पर ही इसे अष्टाध्यायी कहा जाता है। भगवान शिव की भक्ति करने से समस्त प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है और दुखों का निवारण होता है। रुद्राभिषेक करते समय समस्त दसों अध्यायों का पाठ करना चाहिए।

रुद्राभिषेक मंत्र से भगवान शिव की पूजा करते समय शिवलिंग पर दुग्ध, घी, शुद्ध जल, गंगाजल, शक्कर, गन्ने का रस, बूरा, पंचामृत, शहद, आदि का उपयोग करते हुए निम्नलिखित मंत्रों का जाप करना चाहिए:

लघु रुद्राभिषेक मंत्र ( Short Rudrabhishek Mantra )

रुद्रा: पञ्चविधाः प्रोक्ता देशिकैरुत्तरोतरं | सांगस्तवाद्यो रूपकाख्य: सशीर्षो
रूद्र उच्च्यते|| एकादशगुणैस्तद्वद् रुद्रौ संज्ञो द्वितीयकः । एकदशभिरेता
भिस्तृतीयो लघु रुद्रकः।।

रुद्राभिषेक मंत्र से पूजा करते समय उपरोक्त वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए और शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए तथा उपरोक्त मंत्रों का जाप करने के बाद शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी का पाठ करें और रुद्राष्टाध्यायी का पंचम और अष्टम अध्याय का पाठ अवश्य करें।

रुद्राभिषेक मंत्र जाप करने के लाभ ( Benefits of Chanting Rudrabhishek Mantra )

इस मंत्र का जाप करने से अनेक प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है और मंत्र जाप करने वाले के सभी अभीष्ट सिद्ध होते हैं कुछ विशेष उद्देश्यों में पूर्ति के लिए भी रुद्राभिषेक मंत्र का जप किया जाता है इसलिए रुद्राभिषेक मंत्र जाप से प्राप्त होने वाले लाभ इस प्रकार हैं:

  • भगवान रूद्र में सभी देवताओं का वास होता है इसलिए जब हम रुद्राभिषेक करते है तो सभी देवता प्रसन्न होते है |
  • यदि आप कालसर्प योग से पीड़ित है तो उसे शिव रुद्राभिषेक करना चाहिए इससे कालसर्प योग का प्रभाव दूर होता है |
  • यदि आपके घर में गृहकलेश चला आ रहा है और परिवार के लोगों में आपस में लड़ाई झगड़ा होता है, तो आपको रुद्राभिषेक कराना अत्यंत लाभकारी साबित होगा।
  • रुद्राभिषेक पूजा से घर से नकारात्मकता दूर होती है और घर में सकारात्मक वातावरण बनता है |
  • रुद्राभिषेक करने से इस जन्म के साथ पिछले जन्म के भी पातक पाप नष्ट हो जाते है और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है |
  • यदि आप किसी असाध्य रोग से पीड़ित हैं, तो आपको कुशा के द्वारा रुद्राभिषेक मंत्र से शिवजी की पूजा करनी चाहिए।
  • यदि आप अखंड लक्ष्मी की प्राप्ति करना चाहते हैं तो आपको रुद्राभिषेक मंत्र का जाप करते हुए गन्ने के रस से शिवजी का रुद्राभिषेक करना चाहिए।
  • यदि आप मोक्ष प्राप्ति की इच्छा रखते हैं, तो आपको किसी तीर्थ से जल लाकर पूरे मन से भगवान शिव का रुद्राभिषेक मंत्र द्वारा पूजन करना चाहिए।
  • यदि संतान प्राप्ति के उद्देश्य से रुद्राभिषेक मंत्र का जप करना हो, तो किसी भी दुग्ध से रुद्राभिषेक करना चाहिए और यदि आपकी संतान उत्पन्न होकर मृत हो तो गौ दुग्ध से रुद्राभिषेक करना चाहिए।
  • यदि आपको नौकरी ना मिल रही हो या नौकरी मिलने में दिक्कत हो अथवा शत्रु परेशान कर रहे हों, तो इन सभी समस्याओं का समाधान है, रुद्राभिषेक मंत्र का जाप करते हुए सरसों के तेल से रुद्राभिषेक करना।
  • यदि वर्षा ना हो रही हो और फसल की हानि होने लगे, तो समाज के कल्याण के लिए वर्षा के उद्देश्य से भगवान शिव का जल से अभिषेक करना चाहिए और रूद्राभिषेक मंत्र का जप करना चाहिए
  • यदि आप सुन्दर, विद्वान् और संस्कारी संतान प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको रुद्राभिषेक मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए।
  • यदि लम्बे समय से ज्वर की समस्या चल रही हो, तो ज्वर की शांति के लिए गंगाजल से अभिषेक करें और रुद्राभिषेक मंत्रों का उच्चारण करें।
  • यदि आपको भवन या वाहन खरीदने की इच्छा है तो उसकी प्राप्ति के लिए आपको रुद्राभिषेक मंत्र का जाप करने के साथ-साथ दही से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना चाहिए।
  • शहद एवं घी से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से धन की वृद्धि होती है और लक्ष्मी का वास होता है।
  • किसी भी बीमारी से कष्ट मुक्ति हेतु जल में इत्र मिलाकर भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें। याद रखें रुद्राभिषेक मंत्र का जाप करते समय इत्र यदि ‘खस ‘ का हो तो बेहतर रहेगा।
  • यदि आप दूध से रुद्राभिषेक करते हैं तो प्रमेह रोग की समस्या से मुक्ति मिलती है।
  • पुत्र की कामना करने वाले व्यक्ति को जल में शक्कर मिलाकर रुद्राभिषेक मंत्र का जाप करते हुए अभिषेक करना चाहिए।
  • यदि आप तपेदिक रोग से पीड़ित हैं तो आपको शहद के द्वारा रुद्राभिषेक करना चाहिए।
  • इसके अतिरिक्त यदि आप शहद से रुद्राभिषेक करते हैं, तो आपके जीवन के सभी पापों का भी शमन हो जाता है।
  • उत्तम स्वास्थ्य हर किसी की इच्छा होती है, इसलिए यदि आप आरोग्यता प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको गाय के दूध अथवा शुद्ध घी अथवा दोनों से रुद्राभिषेक मंत्र का जाप करना चाहिए।
  • यदि आप विद्वान बनना चाहते हैं और अपनी बुद्धि का विकास करना चाहते हैं तो आपको दूध में शक्कर मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए।
  • यदि आपको ही व्यापार करते हैं और उसमें लगातार नुकसान हो रहा है तो इससे बचने के लिए आपको रुद्राभिषेक मंत्र का जप करना चाहिए।
  • विद्यार्थियों को अपनी शिक्षा में आने वाली रुकावट को दूर करने के लिए भी रुद्राभिषेक मंत्र से शिव जी को प्रसन्न करना बेहतर परिणाम दिलाता है।
  • केवल इतना ही नहीं जीवन में आ रही सभी प्रकार की समस्याओं और कार्यों में रुकावटों को दूर करने के लिए आप रुद्राभिषेक मंत्र का जप करके भगवान शिव से कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को सफल बना सकते हैं।

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