श्री विष्णु चालीसा

Shri Vishnu Chalisa
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Shri Vishnu Chalisa in Hindi: हिंदू पंचांग के अनुसार, गुरुवार का दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन पूजा करने से माता लक्ष्मी भी प्रसन्न रहती हैं। मान्यता है कि विष्णु चालीसा का पाठ करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, जो लोग अपने नियमित रूप से विष्णु चालीसा का पाठ करते हैं, उनके घर में हमेशा खुशियां बनी रहती हैं।

हिंदू धर्म में सप्ताह का प्रत्येक दिन किसी न किसी देवी या देवता को जरूर समर्पित होता है। गुरुवार का दिन जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस दिन व्रत के साथ पूजा-पाठ करता है, उसकी कुंडली से गुरु दोष (Guru Dosh from Kundli ) समाप्त हो जाता है। माना जाता है कि गुरुवार के दिन नियमित रूप से भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) की पूजा करने के साथ विष्णु चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है।

भगवान विष्णु त्रिदेवों में से एक हैं। विष्णु जी को सृष्टि का संचालक कहा जाता हैं। भगवान विष्णु को दया और प्रेम का सागर माना जाता है।  विष्णु जी अपनी पत्नी देवी माता लक्ष्मी (Mata Laxmi) के साथ क्षीरसागर में वास करते हैं। इनकी शैय्या शेषनाग है जिसके फन पर यह संसार टिका है। यह अपने भक्तों पर विशेष कृपा दृष्टि बनाए रखते है और उन्हें शुभ फल प्रदान करते हैं। सच्चे मन से आराधना करने पर वह व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं  पूरी  करते हैं।

श्रीहरि विष्णु चालीसा का महत्व ( Sri Hari Vishnu Chalisa Ka Mahatav )

विष्णु चालीसा का पाठ करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। भगवान विष्णु निराकार परब्रह्म है, जिन्हें वेदों में साक्षात ईश्वर कहा है। वैदिक काल से ही भगवान विष्णु सम्पूर्ण विश्व की सर्वोच्च शक्ति व नियन्ता के रूप में हमेशा मान्य रहे है ।

श्री विष्णु की कृपा से सिद्धि-बुद्धि, धन-बल और ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है। भगवान विष्णु के प्रभाव से इंसान धनी बनता है, वो तरक्की करता है। वो हर तरह के सुख का भागीदार बनता है, उसे कष्ट नहीं होता। श्री विष्णु शक्ति-ज्ञान के देवता हैं, उनकी कृपा मात्र से ही इंसान सारी तकलीफों से दूर हो जाता है और वो तेजस्वी बनता है।

श्री विष्णु चालीसा पाठ करने की विधि Sri Hari Vishnu Chalisa Path Karne Ki Vidhi )

  • प्रातः जल्दी उठ कर स्नानादि से निवृत्त हो कर साफ पीले रंग के कपड़े धारण कर लें।
  • अब श्रीहरि विष्णु की प्रतीमा के सामने घी का दीपक जला कर मन में संकल्प करें।
  • मंदिर या पूजा घर में आसन लगा कर बैठ जाएं
  • इसके बाद धूप दीप करके भगवान विष्णु को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं।
  • भोग में तुलसी की पत्ती अवश्य डालें। तुलसी बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है।
  • भगवान विष्णु को पीला चंदन, अक्षत, फूल, माला चढ़ाने के बाद विष्णु चालीसा का पाठ आरंभ करें।
  • अंत में धूप-दीपक करके आचमन कर दें और प्रसाद सभी के बीच बांट दें।

ऐसे में आज हम आपके लिए लेकर आए हैं विष्णु चालीसा की हिंदी लिरिक्स (Shree Vishnu Chalisa Lyrics in Hindi), जिसके जरिए आप नियमित अपने घर में पाठ कर सकते हैं


श्री विष्णु चालीसा ( Shri Vishnu Chalisa )

दोहा

विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥

चौपाई

नमो विष्णु भगवान खरारी, कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी, त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥

सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।
तन पर पीताम्बर अति सोहत, बैजन्ती माला मन मोहत ॥

शंख चक्र कर गदा विराजे, देखत दैत्य असुर दल भाजे ।
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे, काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन, दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन, दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥

पाप काट भव सिन्धु उतारण, कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।
करत अनेक रूप प्रभु धारण, केवल आप भक्ति के कारण ॥

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा, तब तुम रूप राम का धारा ।
भार उतार असुर दल मारा, रावण आदिक को संहारा ॥

आप वाराह रूप बनाया, हिरण्याक्ष को मार गिराया ।
धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया, चौदह रतनन को निकलाया ॥

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया, रूप मोहनी आप दिखाया ।
देवन को अमृत पान कराया, असुरन को छवि से बहलाया ॥

कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया, मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया, भस्मासुर को रूप दिखाया ॥

वेदन को जब असुर डुबाया, कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।
मोहित बनकर खलहि नचाया, उसही कर से भस्म कराया ॥

असुर जलन्धर अति बलदाई, शंकर से उन कीन्ह लड़ाई ।
हार पार शिव सकल बनाई, कीन सती से छल खल जाई ॥

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी, बतलाई सब विपत कहानी ।
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी, वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥

देखत तीन दनुज शैतानी, वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी, हना असुर उर शिव शैतानी ॥

तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे, हिरणाकुश आदिक खल मारे ।
गणिका और अजामिल तारे, बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥

हरहु सकल संताप हमारे, कृपा करहु हरि सिरजन हारे ।
देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे, दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥

चाहता आपका सेवक दर्शन, करहु दया अपनी मधुसूदन ।
जानूं नहीं योग्य जब पूजन, होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥

शीलदया सन्तोष सुलक्षण, विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ।
करहुं आपका किस विधि पूजन, कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥

करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण, कौन भांति मैं करहु समर्पण ।
सुर मुनि करत सदा सेवकाई, हर्षित रहत परम गति पाई ॥

दीन दुखिन पर सदा सहाई, निज जन जान लेव अपनाई ।
पाप दोष संताप नशाओ, भव बन्धन से मुक्त कराओ ॥

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ, निज चरनन का दास बनाओ ।
निगम सदा ये विनय सुनावै, पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥॥

॥ इति श्री विष्णु चालीसा ॥


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