भगवान शिव सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक हैं हिंदू धर्म के त्रिदेवताओं में से भगवान शिव एक ऐसे देवता है जिन्हें संपूर्ण ब्रह्मांड का पालन हर्ता कहा गया है भगवान शिव अनेकों नाम से जाने जाते हैं जैसे कि भोलेनाथ, महादेव, शंकर, महेश, रूद्र, नीलकंठ, गंगाधर आदि नाम बहुत ही प्रसिद्ध है। हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा बहुत ही विधि विधान पूर्वक की जाती है महाशिवरात्रि का दिन भगवान शिव के लिए अत्यंत प्रिय होता है शिवरात्रि वाले दिन विश्व के सभी लोग भगवान शिव की पूजा करते हैं।
शास्त्रों के मुताबिक तंत्र साधना में इन्हें भैरव के नाम से जाना जाता है हिंदू धर्म के प्रमुख देवता भगवान शिव को कहा गया है वेदों में इनका नाम रूद्र है ऐसे में भगवान शिव के श्री शिव अष्टकम स्तोत्र का पाठ करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि शिव अष्टकम का पाठ करने से जातक को महादेव की कृपा प्राप्त होती है शास्त्रों के मुताबिक ऐसा कहा जाता है कि श्री आदि शंकराचार्य ने भगवान शिव के लिए इस मंत्र की रचना की थी। श्री शिव अष्टकम का पाठ करने से मनुष्य के सारे कष्टों का निवारण होता है
श्री शिव अष्टकम स्तोत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है जो भी मनुष्य इस शिव अष्टकम का पाठ सच्चे मन से करता है उसे मृत्यु के उपरांत भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है और उसे शिवलोक में जगह प्राप्त होती है। कहा जाता है कि भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण कर देते हैं और उनके सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति दिलाने में उनकी मदद करते हैं।
शिव अष्टकम स्तोत्र का पाठ कैसे करें ?
How to Recite Shiv Ashtakam Stotra?
अगर आप भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहते है तो भगवान शिव के सबसे प्रिय शिव अष्टकम का पाठ करना चाहिए| अब हम आपको शिव अष्टकम का पाठ कैसे करते है इसकी संपूर्ण विधि बताने वाले हैं
- शिव अष्टकम का पाठ सोमवार के दिन करना उत्तम माना जाता है।
- अगर आप में से कोई भी व्यक्ति शिव अष्टकम का पाठ सावन के सोमवार में करता है तो वह और भी उत्तम माना जाता है क्योंकि सावन का पूरा महीना भगवान शिव को समर्पित किया गया है।
- शिव अष्टकम का पाठ करने के लिए सावन के सोमवार वाले दिन सुबह प्रातः उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं उसके पश्चात खुद को गंगाजल से शुद्ध कर ले और साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें।
- उसके पश्चात भगवान शिव की पूजा करने के लिए शिवलिंग के सामने या भगवान शिव की मूर्ति के सामने आसन लगाकर ध्यान करें।
- भगवान शिव की मूर्ति के समक्ष बैठकर शिव अष्टकम का पाठ करना शुभ माना जाता है।
- ध्यान करने के बाद भगवान शिव की शिवलिंग पर गंगाजल, बेलपत्र, सफेद फूल, धूपबत्ती, अगरबत्ती, घी का दीपक, और भोग में कुछ मीठा लगाएं।
- यह संपूर्ण सामग्री महादेव के सामने समर्पित करने के बाद हाथ जोड़कर शिव के समक्ष बैठकर श्री शिव अष्टकम स्तोत्र का पाठ करना है।
श्री शिव अष्टकम ( शिवाष्टकम् ) स्तोत्र के लाभ
Benefits of Shri Shiv Ashtakam (Shivashtakam) Stotra
- श्री शिव अष्टकम स्तोत्र का पाठ करने से शिवजी जी की असीम कृपा मिलती है
- शिवाष्टकम् स्तोत्र का पाठ करने से शिवजी बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते है
- सावन माह में यह पाठ करना बहुत लाभकारी होता है
- इस स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य के सारे कष्टों का निवारण होता है
- श्री शिव अष्टकम स्तोत्र का पाठ हर रोग से मुक्ति दिलाता है
- श्री शिव अष्टकम का पाठ करने से मनुष्य के जीवन में सुख समृद्धि का वास होता है
- यह पाठ बहुत शक्तिशाली पाठ माना जाता है
- श्री शिवाष्टकम् स्तोत्र पाठ करने से सब मनोकामना की पूर्ति होती है
श्री शिव अष्टकम ( शिवाष्टकम् ) स्तोत्र – हिंदी अर्थ
Sri Shiv Ashtakam (Shivashtakam) Stotra Lyrics in Hindi
॥ अथ श्री शिव अष्टकम ॥
॥ इति श्री शिव अष्टकम ॥
शिवजी आरती
भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए के लिए शिव आरती (Shiv Aarti – Om jai Shiv Omkara) के बिना पूजा अधूरी मानी गई है. शिव जी की आरती घी लगी हुई रुई की बत्ती और कपूर से करनी चाहिए।
शिवजी की आरती
(Shivji Ki Aarti – Om Jai Shiv Omkara)
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
अक्षमाला वनमाला, मुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै, भाले शशिधारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
कर के मध्य कमंडल चक्र त्रिशूलधारी ।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा ।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा ।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला ।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला ॥
जय शिव ओंकारा…॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नंदी ब्रह्मचारी ।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥