दुर्गा चालीसा में देवी दुर्गा की चालीस छंदों की प्रार्थना है। यह अपने आरंभिक छंद “नमो नमो दुर्गे” से भी बहुत लोकप्रिय है। इस प्रार्थना में देवी दुर्गा के अनेक कार्यों और गुणों की स्तुति की जाती है। कई लोग प्रतिदिन दुर्गा चालीसा का जाप करते हैं, और कई अन्य नवरात्रि के दौरान 9 दिनों तक अत्यधिक भक्ति के साथ दुर्गा चालीसा का पाठ करते है । कहा जाता है कि भक्ति भाव से दुर्गा चालीसा का पाठ करने से मन को शांति, साहस, शत्रुओं पर विजय और आर्थिक संकट से मुक्ति मिलती है।
नवरात्रि के नौ दिनों में माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नौ देवियों की कृपा से अलग-अलग तरह के मनोरथ सिद्ध होते हैं। नवरात्र के नौ दिनों तक माँ दुर्गा की सभी मनोरथ को पूरी करने वाली श्रीदुर्गा चालीसा का पाठ करने से शत्रुओं से मुक्ति, इच्छा पूर्ति सहित अनेक कामनाएं पूरी हो जाती है। मां दुर्गा उत्पत्ति ही धर्म की रक्षा और संसार से अंधकार मिटाने के लिए हुई। साथ ही नवरात्रि में भक्त दिनभर व्रत रखते हैं और शाम को माता रानी की आरती करके उन्हें भोग लगाते हैं। नवरात्रि में आरती के साथ दुर्गा चालीसा का भी पाठ किया जाता है। मान्यता है कि चालीसा के बिना मां दुर्गा की चालीसा अधूरी मानी जाती है।
शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि या किसी भी अन्य शुभ अवसर पर मां दुर्गा की स्तुति के लिए दुर्गा चालीसा का पाठ करना उत्तम माना गया है। नवदुर्गा, दुर्गा पूजा, नवरात्रि, नवरात्रे, गुप्त नवरात्रि, माता की चौकी, देवी जागरण, जगराता, शुक्रवार तथा दुर्गा अष्टमी के शुभ अवसर पर गाये जाने वाला श्री दुर्गा चालीसा। तो आप भी इस नवरात्री में करिए श्री दुर्गा चालीसा पाठ नामो नामो दुर्गे सुख करनी
कैसे हुई दुर्गा चालीसा की उत्पत्ति ?
How did Durga Chalisa Originated?
दुर्गा चालीसा की उत्पत्ति से पहले माँ दुर्गा की उत्पत्ति कैसे और क्यों हुई इस बारे में जानना बेहद आवश्यक है। बता दें कि महिषासुर नामक राक्षस का वध करने के लिए देवताओं ने अपनी शक्तियों से एक आदि शक्ति को जन्म दिया जिसे आज सर्वशक्तिशाली माँ दुर्गा के रूप में लोग जानते हैं। माँ दुर्गा ने महादुराचारी दैत्य महिषासुर का वध कर देवताओं को उसके चंगुल से बचाया था और उन्हें स्वर्ग लोक वापिस दिलाने में मदद की थी।
दुर्गा चालीसा की रचना देवी-दास जी ने की थी, जिनके संदर्भ में ये माना जाता है कि वो माँ दुर्गा के सबसे बड़े उपासक थे और उन्होनें दुर्गा चालीसा में माँ दुर्गा के सभी रूपों के साथ ही उनकी महिमा का भी वर्णन विस्तार में किया है। कई पौराणिक कथाओं में अनुसार देवी दुर्गा को इस संसार का संचालक भी बताया गया है क्योंकि उनमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों के गुण विद्यमान हैं।
दुर्गा चालीसा पाठ के फायदे
Benefits of Reciting Durga Chalisa
- दुर्गा चालीसा का पाठ नवरात्रि या दूसरे किसी शुभ अवसर पर व्यक्ति को करने से आध्यात्मिक, भौतिक और भावनात्मक खुशी की प्रप्ती होती है।
- दुर्गा चालीसा के नियमित पाठ से भक्तों के कई दुख दूर होते हैं।
- रोजाना दुर्गा चालीसा का पाठ अपने मन को शांत करने के लिए भी किया जाता है। मां दुर्गा चालीसा का पाठ बड़े-बड़े ऋषि भी करते थे। इससे वह अपना मन शांत रखते थे।
- इसका पाठ करने से जीवन में आ रही परेशानियों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति के जीवन में भी आनंद बना रहता है।
- दुश्मनों से निपटने और उन्हें हराने की क्षमता भी विकसित करने के लिए पाठ किया जाता है।
- मां दुर्गा धन, ज्ञान और समृद्धि का वरदान भक्त की श्रद्धा से खुश होकर देती हैं।
- दुर्गा चालीसा के जाप से हम मॉं दुर्गा को प्रसन्न कर सकते हैं।
- अपने परिवार को वित्तीय नुकसान, संकट और अलग-अलग प्रकार के दुखों से बचाने के लिए दुर्गा चालीसा का पाठ किया जाता है।
- इस चालीसा के जाप से हम कामना करते हैं कि मॉं दुर्गा हमारा कल्याण करेंगी और हमारे सभी दुखों और दरिद्रता को दूर करेंगी।
- मॉं दुर्गा की स्तुति करते हुए हम उनके गुणों का भी इस चालीसा के जरिये गुणगान करते हैं।
- मॉं दुर्गा को इस कलयुग में पापों का नाश करने वाली शक्ति के रुप में देखा जाता है।
- दुर्गा चालीसा के पाठ से भक्तों को सतगुणों की प्राप्ति भी होती है।
दुर्गा चालीसा के पाठ करने की सही विधि
Correct Method of Reciting Durga Chalisa
दुर्गा चालीसा का पाठ ज्यादातर लोग अपनी क्षमता और श्रद्धा के अनुसार ही करते हैं लेकिन यदि इसका जाप नियम पूर्वक किया जाए तो इससे माता दुर्गा का ख़ास आशीर्वाद आपको प्राप्त होता है। ज्योतिष विशेषज्ञों द्वारा दुर्गा चालीसा पाठ के कुछ विशेष नियमों के बारे में निम्न प्रकार से उल्लेख किया गया है:-
- दुर्गा चालीसा का पाठ करने से पहले ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके साफ़ सुथरे वस्त्र धारण करें।
- अब एक लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछा कर, उस पर माँ दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें।
- सबसे पहले माता दुर्गा की फूल, रोली, कुंकुम, अक्षत, लाल पुष्प, धूप, दीप आदि से पूजा अर्चना करें।
- हलुआ, चना, दूध और मावे की मिठाई का भोग लगाएं।
- हाथ मे पुष्प लेकर यह श्लोक पढ़ें-
ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
तत्पश्चात पुष्प अर्पण कर दुर्गा चालीसा का पाठ करें। पाठ के अंत में ‘ॐ ह्रीं दुं दुर्गायै नमः’ मंत्र का तुलसी या सफ़ेद चन्दन की माला से 108 बार जाप करें ।
श्री दुर्गा चालीसा पाठ
Shri Durga Chalisa Path in Hindi
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी ॥1॥
तिहूं लोक फैली उजियारी॥2॥
शशि ललाट मुख महाविशाला।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला ॥3॥
दरश करत जन अति सुख पावे ॥4॥
पालन हेतु अन्न धन दीना ॥5॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥6॥
हिंदी में अर्थ – अन्नपूर्णा का रूप धारण कर आप ही जगत पालन करती हैं और आदि सुन्दरी बाला के रूप में भी आप ही हैं।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ॥7॥
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥8॥
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ॥9॥
परगट भई फाड़कर खम्बा॥10॥
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥11॥
श्री नारायण अंग समाहीं ॥12॥
दयासिन्धु दीजै मन आसा ॥13॥
महिमा अमित न जात बखानी ॥14॥
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ॥15॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ॥16॥
लांगुर वीर चलत अगवानी ॥17॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै।
जाको देख काल डर भाजै ॥18॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥19॥
तिहुंलोक में डंका बाजत ॥20॥
रक्तबीज शंखन संहारे ॥21॥
जेहि अघ भार मही अकुलानी ॥22॥
रूप कराल कालिका धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा॥23॥
भई सहाय मातु तुम तब तब ॥24॥
तब महिमा सब रहें अशोका ॥25॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हें सदा पूजें नर-नारी ॥26॥
हिंदी में अर्थ – हे मां! श्री ज्वालाजी में भी आप ही की ज्योति जल रही है। नर-नारी सदा आपकी पुजा करते हैं।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें ॥27॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।
जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई ॥28॥
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ॥29॥
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ॥30॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ॥31॥
शक्ति गई तब मन पछितायो ॥32॥
जय जय जय जगदम्ब भवानी॥33॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ॥34॥
हिंदी में अर्थ – हे आदि जगदम्बा जी! तब आपने प्रसन्न होकर उनकी शक्ति उन्हें लौटाने में विलम्ब नहीं किया।
मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ॥35॥
रिपू मुरख मौही डरपावे ॥36॥
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ॥37॥
करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला ॥38॥
हिंदी में अर्थ – हे दया बरसाने वाली अम्बे मां! मुझ पर कृपा दृष्टि कीजिए और ऋद्धि-सिद्धि आदि प्रदान कर मुझे निहाल कीजिए।
जब लगि जिऊं दया फल पाऊं ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ॥39॥
सब सुख भोग परमपद पावै ॥40॥
करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥
॥ इति श्री दुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥
माँ दुर्गा आरती
Maa Durga Arti
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी
माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी॥
जय अम्बे गौरी
कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी